बच्चों की वरिष्ठ और प्रसिद्ध लेखिका हैं डा. क्षमा शर्मा। वैसे वह डॉक्टर हैं, साहित्य और पत्रकारिता में पी-एच डी हैं, परंतु वह अपने नाम में डा. शब्द जोडऩा पसंद नहीं करतीं।
क्षमा शर्मा का जन्म अक्तूबर 1955 में आगरा में हुआ। पिता का नाम था राम स्नेही शर्मा और मां थीं कैला दैवी। पिता रेलवे की नौकरी में थे और उनका लगातार कहीं न कहीं तबादला होता ही रहता था। मां घरेलू महिला थीं पर आज भी क्षमा शर्मा उन्हें बड़े गर्व से याद करती हैं। उनका मानना है कि आज से 50 वर्ष पहले स्त्रियों के प्रति उनका जो प्रगतिशील नजरिया था, उसका पचास प्रतिशत नजरिया भी आज के नेताओं में आ जाए तो भारतीय स्त्रियों की स्थिति और भी बेहतर हो जाए।
क्षमा शर्मा का जन्म जब हुआ था, तब उस समय जो नाटकीय घटना घटी थी, वह आज भी वह हंसते हुए सुनाती हैं। उन्हें उनके मामा जी ने बताया था कि जब उनका जन्म हुआ था, तो उसके कुछ ही घंटों के बाद वह अपने बिस्तर से गायब पाई गई थीं। जब उनकी मां ने अपना बच्चा मांगा तो हड़कम्प मच गया। क्षमा शर्मा समय से पहले पैदा होने के कारण काफी कमजोर थीं, अत: डॉक्टरों ने उनकी मां को समझाना शुरु किया कि छोड़ो उस मरियल लड़की को, हम तुम्हें हट्टे-कट्टे लड़के लाकर देते हैं। परंतु उनकी मां अड़ गईं कि जैसी भी है, मुझे मेरी लड़की ही चाहिए। मां ने डॉक्टर्स को धमकी दे दी दी कि अगर उन्हें उनकी लड़की नहीं मिली, तो वह कोर्ट में जाएंगी और डॉक्टर्स से अपनी लड़की लेकर रहेगी।
भगवान ने एेसा अवसर नहीं आने दिया। तीन दिन बाद क्षमा शर्मा को चुराकर ले जाने वाली महिला खुद अपने पति के साथ अस्पताल में आई और बच्ची को लौटा दिया। उस स्त्री को मिर्गी के दौरे पड़ते थे और मिर्गी के दौरे में ही उसने बालिका को चुरा लिया था। दौरा समाप्त होने पर जब उसने मरियल सी लड़की को अपनी गोद में देखा, तो तुरंत उसे वापस करने आ पहुंची। क्षमा शर्मा की मां को तो अपनी बेटी मिल गई, इसी की उन्हें बहुत खुशी थी। उन्होंने उस स्त्री को माफ कर दिया था। आज भी क्षमा शर्मा के रिश्तेदार उन्हें बताते हैं कि जिस समय कोर्ट की बात से मर्द घबराते थे, उस समय उनकी मां ने अपनी बेटी को पाने के लिए कोर्ट जाने की धमकी दी थी।
शायद यही कारण है कि उनकी कहानियों और उपन्यासों में स्त्री पक्ष बहुत मजबूत रहता है और बच्चों को भी खूब प्रमुखता मिलती है।
क्षमा शर्मा की प्रारंभिक पढ़ाई कन्नौज और फर्रुखाबाद में हुई। छह भाई बहनों में वह सबसे छोटी थीं। सबसे बड़े भाई कॉलेज में पढ़ाते थे और उन्ही के मार्गदर्शन में सभी भाई-बहनों ने खूब पढ़ाई की।
क्षमा शर्मा के पिता जी की असमय मौत ने उन्हें समय से पहले ही अपने पैरों पर खड़े होने के लिए मजबूर कर दिया। पढ़ाई करते करते उन्होंने नौकरी का प्रयास किया और 1977 में उन्हें हिन्दुस्तान टाइम्स की बाल पत्रिका नंदन में नौकरी मिली। उस समय वह बीए कर के एमए में पढ़ रही थीं। उस समय हिन्दुस्तान टाइम्स के उप महाप्रबंधक श्री गौरीशंकर राजहंस जी थे। उन्होंने एक लड़की की जरूरत को समझा और एक अनुभवहीन लड़की को बड़ी इज्जत से नौकरी दी। क्षमा शर्मा ने नौकरी पर रहते हुए ही एमए की पढ़ाई पूरी की। जर्नलिज्म में पीजी डिप्लोमा लेने के बाद जामिया मिलिया इसलामिया से साहित्य और पत्रकारिता में पी-एच डी भी की। उन्हें गर्व है कि उन्होंने दिल्ली के तत्कालीन तीनों विश्वविद्यालयों (दिल्ली, जवाहर लाल नेहरू और जामिया मिलिया इसलामिया) में पढ़ाई की थीं।
क्षमा शर्मा ने करीब 18 वर्ष की उम्र से लिखना शुरु किया। पहली किताब बच्चों के लिए सन 1982 में छपी- परी खरीदनी थी। उसी समय बड़ों के लिए उनकी कहानी संग्रह काला कानून भी प्रकाशित हुई।
क्षमा जी आज बाल साहित्य की सबसे वरिष्ठ लेखिकाओं में से एक हैं। वह पिछले 36 वर्षों से बच्चों के पत्रिका नंदन से जुड़ी हैं। बच्चों के मन को समझकर और उनकी जिज्ञासाओं का निदान करते-करते कहानी गढ़ देना उनकी सबसे बड़ी विशेषता है। उनके अब तक 17 बाल उपन्यास और 12 बाल कहानी संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। इसके अलावा स्त्री विषयों पर लेखन की वह विशेषज्ञ हैं । बड़ों के लिए 8 कहानी संग्रह और 4 उपन्यासों के साथ स्त्री विषयों पर भी उनकी पांच किताबें आ चुकी हैं।
क्षमा शर्मा को प्रकृति और जीव जंतुओं से बहुत प्यार है। कुत्ते और बिल्लियाँ कब और कैसे दोस्त बन जाते है, कोई समझ ही नहीं पता। कई बार तो लगता है जैसे वह प्रकृति की भाषा भी समझती हैं।
दूरदर्शन के लिए वह 1974 से प्रोग्राम कर रही हैं। रेडियो को लिए भी तभी से वह प्रोग्राम कर रही हैं।
पुरस्कार : सूचना और प्रसारण मंत्रालय का भारतेंदु हरिश्चंद्र पुरस्कार, हिंदी अकादमी से दो बार पुरस्कृत, बाल कल्याण संस्थान कानपुर, इंडो रूसी क्लब नई दिल्ली और सोनिया ट्रस्ट नई दिल्ली से सम्मानित।
हिंदी अकादमी से सम्मान
क्षमा जी का विवाह डा सुधीश पचौरी से 17-8-1977 को हुआ।
सुधीश जी दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षाशास्त्री और प्रशासक हैं। वह इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के विशेषज्ञ माने जाते हैं।
क्षमा जी के दो बच्चे हैं। बड़ा पुत्र स्विट्जरलैंड में हैं और पुत्री भी नौकरी करती हैं।
प्रमुख बाल पुस्तकें
1. शिब्बू पहलवान (ऑपरेशन ब्लैक बोर्ड में चुनी गई पुस्तक)
2. पन्ना धाय
3. मिट्ठू का घर
4. राजा बदल गया
5. पप्पू चला ढूंढने शेर
6. पीलू
7. होमवर्क
8. इंजन चले साथ-साथ
9. बादल की बात
10. गोपू का कछुआ
11. घर या चिडिय़ाघर
12. नाहर सिंह के कारनामे
13. एक रात जंगल में (पंजाबी में अनुवाद)
14. भाई साहब(ऊर्दू में अनुवाद)
15. मानू
16. डायनासोर की पीठ पर
17. दूसरा पाठ
कथा संग्रह
1. पानी-पानी
2. परी खरीदनी थी
3. तितली और हवा
4. इक्यावन बाल कहानियां
5. चालाकी की सजा
6. भाई की सीख
7. भेडि़ए के जूते
8. धरती है सबकी
9. फिर से गाया बुलबुल ने
10. दोना भर जलेबी
11. लालू का मोबाइल
12. बुलबुल और मुन्नू (पंजाबी और उडिय़ा में अनुवाद)
संपर्क :
क्षमा शर्मा
कार्यकारी संपादक, नंदन
हिन्दुस्तान टाइम्स हाउस
18-२0 कस्तूरबा गांधी मार्ग
नई दिल्ली-
फोन 011-66561235
ई मेल kshamasharma1@gmail.com
—अनिल जायसवाल
MAIN AAPSE MILNA CHAHTI HUN .
ReplyDeleteok beta zarur
Deleteआप का नाम सुना था. आप के बारे में पढ़ कर बहुत अच्छा लगा. आप की उपलब्धियां मन को छू गई. बधाई हो,आप की उपलब्धियां गर्व करने लायक हैं.
ReplyDeleteक्षमा शर्मा जी के विस्तृत कृतित्व प्रस्तुति हेतु अनिल जायसवाल जी का आभार
ReplyDeleteइनका उपन्यास परछाई अन्नपूर्णा कहाँ से प्रकाशित हुआ है प्लीज बताएं....
Deleteआज नवभारत अखबार (रायपुर, छ. ग.) के संपादकीय पृष्ठ पर आप का लेख, "कौन है असली स्त्री विमर्श की पहचान" अप्रतिम है। विषय को इतने साधरण शब्दो मे रखा आओ ने, वो तारीफे काबिल है।
ReplyDeleteआप की ट्वीटर आई डी सांझा करें
ReplyDeleteमुझे क्षमा जी के बारे में अधिक से अधिक जानकारी कहाँ से मिलेगी।
ReplyDeleteI feel proud for acievements by Kshama Sharma in her life.
ReplyDelete- SATISH JAIN,IRS
Agra
मैडम 🙏, आज आपका दैनिक जागरण में छपा लेख महिलाओं के हाथ से... पढ़ा, आपकी प्रगतिशील लेखनी से मन को अपार संतोष होता है।आप यूँही सदैव लिखती रहे।
ReplyDeleteअमर उजाला मे आपका लेख"सबसे बडे वैज्ञानिक प्रयोग की दुनिया मे" पढा बहुत ही ग्यानवृधक लेख है पढकर मेरा तो मस्तिष्क ही शून्य हो गया । लेख पढकर लेखक के विषय में जिज्ञासा हुई तो आप की जन्म की अस्पताल वाली कहानी बहुत रोचक लगी । मै भी शिक्षा से जुड़ा रहा हूँ ओर हम उम्र रहे है । मेरी ओर से आपको शुभकामनाएँ। Vksingh Kashipur
ReplyDeleteमैम आपके किन किन कहानियों/उपन्यासों में बाल विमर्श का जिक्र किया गया है कृपया बताने की कृपा करें
ReplyDeleteआप की तर्कपूर्ण शैली पसंद आयी हमें! हमें गर्व है की ऐसी प्रसद्धि साहित्याकार के लेख पढ़कर
ReplyDeleteराष्ट्रीय सहारा 'आधी दुनिया' में 'तकनीक का एडिक्शन और हमारे सम्बन्ध'आपका लेख आज के सामाजिक-पारिवारिक तानेबाने में एक बड़े छिद्र को उद्धत करता है। आपके लेखों के विषय सामाजिक, पारिवारिक व वैयक्तिक सम्बन्धों के आसपास होते हैं। आभार।
ReplyDelete-आशुतोष पाण्डेय सम्पादक 'कान्यकुब्ज मंच'
क्षमा शर्मा का शिब्बू पहलवान उपन्यास कहां से मिल सकता है ???
ReplyDeleteगुरु बचन सिंह रोज़ा शाहजहाँपुर मो न 9795586031
ReplyDeleteमैम मैं आपसे मिलना चाहती हूँ आपसे कैसे मिलना हो पायेगा.. आपकी बहुत कृपया होगी।
ReplyDeleteनमस्ते मैम आपके लेख मैंने अखबार के माध्यम से पढें हैं बहुत अच्छा लिखते हैं आप मैं भी लिखना चाहता हूँ मेरा मार्गदर्शन करें आप लिखते रहें। धन्यवाद
ReplyDelete🙏
नमस्कार, माननीया !
ReplyDeleteदैनिक जागरण में ' भाई - भतीजावाद की बहकी हुई बहस ' शीर्षक से प्रकाशित लेख समयोपयोगी तथा तथा तथ्य परक है। इस सत्कृत्य के लिए अनेक धन्यवाद !
मैं दिल्ली आऊंगा। आपसे अनुमति प्राप्त कर आपसे मिलने की आशा रखता हूं। धन्यवाद !
main aapse milna chahti hu mam. main research kar rahi hu baal kahaniyo per. maine uske liye aapke vyaktitv ko chuna hai. main aapse kaese mil sakti hu taki aapke bare me aur adhik jaan saku.kripya reply kare. mera mail id comment me hai. jainnishu06@gmail.com
ReplyDeleteनमस्ते मैम,मेरे लेखन को परिमार्जित करते हैं आपके लेख।
ReplyDeleteGood evening mam Mam mai apke bal sahitya par research karna cahati hu Mam please help content collection mai
ReplyDeleteनमस्ते मैम,
ReplyDeleteआपके विचार हमें प्रोत्साहित करते हैं.....