रमेश तैलंग
(प्रसिद्ध बाल कवि )
फिर भी बच्चों के रग-रग को ध्यान में रखते हुए, उनके गाने-गुनगुनाने लायक कविताओं से हिन्दी बाल साहित्य को समृद्ध करते रहे।
रमेश तैलंग मूल रूप से मध्यप्रदेश के हैं। उनका जन्म 28 जून 1947 को मध्यप्रदेश के टीकमगढ़ में हुआ। वैसे अगर सरकारी रिकार्ड देखें, तो उनकी जन्म तिथि 2 जून 1946 है। है न अजब बात! लोग अपनी जन्मतिथि बाद की लिखाते हैं ताकि नौकरी के दो-चार साल ज्यादा मिल सके। पर यहां तो उलटी बात थी। दरअसल रमेश जी पढऩे के इतने शौकीन थे कि दसवीं कक्षा तक अपनी उम्र के हिसाब से पहले ही पहुंच गए। ऐसे में उन्हें मैट्रिक की परीक्षा देने लायक बनाने के लिए उनकी जन्मतिथि को पीछेधकेल दिया गया।
रमेश तैलंग के पिता जी का नाम था हरिकृष्ण देव। बहद कर्मठ, संघर्षशील और मिलनसार। जीवन की कई शारीरिक या मानसिक कठिनाइयां उनके आड़े आईं,परंतु उन्होंने हर अच्छे और कटु अनुभव को ईश्वर का प्रसाद ही समझा और जीवन को प्रेम से व्यतीत किया। रमेश तैलंग की माता जी का नाम है कौशल्या देवी। आज 85 वर्ष की उम्र में भी वह पूरी तरह सक्रिय हैं।
रमेश तैलंग का आरंभिक जीवन या यूं कहिए, बचपन अपने चाचा-चाची के साथ बीता। चाचा जी शहडोल में सरकारी नौकरी करते थे। वहीं रमेश तैलंग की आरंभिक पढ़ाई-लिखाई हुई। वह पढ़ाई में ठीक थे। अगर गणित से डरते थे, तो उस जमाने में अंग्रेजी पर अच्छी पकड़ होने के कारण संगी-साथियों में धाक थी। इस धाक के चक्कर में दोस्तों से दोस्ती भी होती थी, तो कभी दुश्मनी भी।
बचपन की एक घटना उन्हें याद है, जब अपनी एक आदत या शेखी के कारण उनकी जान पर बन आई थी। किसका असर था पता नहीं, पर रमेश तैलंग को चने उछालकर खाने की आदत थी, वही स्टाइल, जैसा उनके बहुत बाद फिल्म स्टार रजनीकांत को हमने करते देखा है। वह बड़े गर्व से चना उछालकर अपना मुंह खोलते थे और चना चुपचाप उनके मुंह में गिरकर उनका निवाला बन जाता था। पर एक बार दाव उलटा पड़ गया। चना उछला तो सही, पर निवाला बनने की जगह नाक में घुस गया। सांसे रुकने लगीं, तो उन्हें फटाफट डॉक्टर के पास पहुंचाया गया। जान तो बची, पर घरेलू हिंसा यानी पिटाई से वह न बच सके।
दतिया में इंटर तक पढ़ाई के बाद वह टीकमगढ़ से ही अंग्रेजी भाषा में स्नातक हुए। रमेश तैलंग जीवाजी विश्वविद्यालय, ग्वालियर से 'हिंदी के साथ-साथ 'सोशॉलजी में भी एम.ए. हैं।
उन्हीं दिनों कविता रचने का खुमार चढ़ा। मां सरस्वती की कृपा थी कि आरंभ से ही कविता के छंद या यूं कहिए, लयात्मकता से उनका बढिय़ा नाता रहा। उस समय बच्चों की सर्वश्रेष्ठ पत्रिकाओं में से एक पराग में वह छपने लगे। इससे कवि रमेश तैलंग का आत्मविश्वास बढ़ा।
1968 में रमेश तैलंग अपने पूरे परिवार के साथ दिल्ली आ गए। पिता बीमारी के कारण नौकरी छोड़ चुके थे। अत: अगली पीढ़ी ने घर चलाने की जिम्मेदारी जल्दी ही संभाल ली। पहली नौकरी एक औषधालय में की और पहला वेतन करीब 60 रुपए का था। कई छोटी-मोटी नौकरियों के बाद उन्हें 1973 में हिन्दुस्तान टाइम्स से जुडऩे का मौका मिला। उनकी चाहत पत्रकार बनने की थीपरंतु बन गए क्लर्क। पर इससे उनकी रचनात्मकता पर कोई फर्क नहीं पड़ा। पत्रकारों के बीच काम करते-करते अनेक लेखकों से जान-पहचान हुई। उनमें से कई उनके प्रगाढ़ मित्र बन गए जिनके साथ आज चार दशकों बाद भी उनकी मित्रता की बेल हरी है। सन 2001 में रमेश तैलंग ने नौकरी से अवकाश ले लिया और तब से स्वतंत्र पत्रकार और रचनाकार के रूप में सक्रिय हैं।
1966 में रमेश तैलंग का विवाह हुआ। उनके पुत्र सचिन का अपना विज्ञापन जगत से जुड़ा अपना कारोबार है। पुत्रवधू भी नौकरी करती हैं।
पत्नी कमलेश के साथ
रमेश तैलंग की साहित्यिक जीवन का शुरुआत उनके अनुसार 1965 के आसपास का काल मान सकते हैं। तब से वह देश की तकरीबन सभी प्रमुख-पत्र-पत्रिकाओं में छप चुके हैं। हालाकि उनकी पुस्तकें देर से छपीं। 1989 में उनका पहला कविता संकलन उनका मित्रों प्रसिद्ध साहित्कार प्रकाश मनु और श्री देवेंद्र कुमार जी के साथ मिलकर आया। संकलन का नाम था—'हिन्दी के नए बालगीत।
(प्रसिद्ध साहित्कार श्री देवेंद्र कुमार और प्रकाश मनु के साथ)
रमेश तैलंग की प्रकाशित पुस्तकें
१. हिन्दी के नए बालगीत
२. उडऩ खटोले आ
३. एक चपाती और अन्य बाल कविताएं
४. कनेर के फूल
५. इक्यावन बाल गीत
६. टिन्नी जी ओ टिन्नी जी
७. लड्डू मोतीचूर के
८. मेरे प्रिय बालगीत
९. अमर प्रसिद्ध किशोर कथाएं (भाग-१ व भाग-२)
पुरस्कार
१. बाल कविता संकलन 'एक चपाती और अन्य बाल कविताएं, और 'कनेर के फूल हिन्दी अकादमी दिल्ली द्वारा पुरस्कृत।
२. सूचना और प्रसारण मंत्रालय, बारत सरकार द्वारा भारतेंदु हरिश्चंद्र पुरस्कार से सम्मानित।
इसके अलावा भारतीय बाल कल्याण संस्थान, कानपुर और इंडो रशियन सांस्कृतिक केंद्र नई दिल्ली द्वारा सम्मानित।
पुस्तक मेले में रमेश तैलंग
रमेश तैलंग
सी-2 एच-1002क्लासिक रेजीडेंसी,
राज नगर एक्सटेंशन,,
गाजियाबाद
उत्तर प्रदेश
मोबाइल : 9211688748
ई मेल : rtailang@gmail.com
rameshtailang@hotmail.com
—अनिल जायसवाल
तैलंग जी को बचपन से पढ़ा है। अभी कुछ ही दिन पहले मोबाइल पर बात हुई । मुझे अच्छा लगा उन्हें यहां इस रूप में देखकर. अनिल जी आपका आभार..
ReplyDeleteआदरणीय रमेश तेलंगजी आप को बहुत पढ़ा. मगर आप का वास्तविक परिचय इस ब्लॉक के जरिए प्राप्त हुआ. आप भी दूनी रात चौगुनी तरक्की करें यही कामना है.
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